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हस्तक्षेप

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कांचा इलैया, बनारस और मध्यम वर्ग

  • Nov 27, 2017

भारतीय अकादमीशियन, लेखक और दलित अधिकारों के कार्यकर्ता कांचा इलैया ने अभी कुछ दिनों पहले राम को एक सामान्य व्यक्ति बताया और कहा कि उनमें तमाम आम लोगों जैसे कुछ दुर्गुण भी थे। इस पर हिंदुत्व और राष्ट्रभक्ति के ठेकेदार भडक़ गये। ये घटनायें अब इस समाज में आम हो गयीं हैं। तर्क की बात करने, अपने अधिकारों की बात करने पर आप आसानी से देशद्रोही करार दे दिये जाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया समूह और स्थानीय अखबार इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं।

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बोलती, आवाज़ उठाती, जूझती लड़कियाँ

  • Nov 27, 2017

चेन्नई, हैदराबाद सेंट्रल विश्वविद्यालय, जे एन यू - पिछले तीन सालों की सुखिर्यों और चैनलों पर विचार-विमर्श बनाम गाली-गलौच पर छाये हुए थे। इन तमाम कैम्पसों पर चलने वाले धरने, प्रदर्शन, अभियान और आन्दोलन के मुद्दे बड़े राष्ट्रीय मुद्दों से सम्बंधित थे-मृत्यु दंड, जातीय उत्पीडन, शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी हस्तक्षेप-बोलने-पढऩे-लिखने-विरोध करने की स्वतंत्रताओं पर रोक, राष्ट्रवाद, राष्ट्रद्रोह। इनके नेता भी अधिकतर नौजवान लडक़े थे, लेकिन बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में एक बिलकुल अलग तरह का विस्फोट देखने को मिला।

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कुपोषण फैलाती सरकारें और भूख से लड़ती महिलाएँ

  • Nov 26, 2017

सुभाषिनी सहगल अली   हिमाचल प्रदेश में चुनाव, गुजरात में चुनाव, उत्तर प्रदेश में चुनाव, चुनाव की बड़ी हलचल है।  नारे गूँज रहे हैं, पर्चे, पोस्टर की जंग छिड़ी है, वायदों और आरोप-प्रतिआरोप के हंगामे में, आम लोगों, गऱीबों, महिलाओं और बच्चों के जीवन से जुड़े मुद्दों की बातें करने की कोशिश वामपंथी कर रहे हैं। शोरगुल में कहीं कहीं सुनाई भी दे रहे हैं।   नोटबंदी से...

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सड़ी गली समाज व्यवस्था और उसके खंबे

  • Nov 26, 2017

संध्या शैली    भोपाल के सामूहिक बलात्कार कांड ने दिल्ली की उस जघन्य घृणित घटना की याद, एक बार फिर ताजा कर दी। इस देश में सिर्फ याददाश्त के सहारे इस तरह की घटनाओं की एक लंबी फेहरिस्त बनाई जा सकती है। लखनऊ का आशियाना कांड, बोकारो का सामूहिक बलात्कार आदि आदि। यह कभी खत्म न होने वाली सूची लगती है और आने वाले दिनों में हम और भी भयानक घटनाओं...

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